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भारतिय मिडीयाको असली अनुहार

भ्रष्टाचार विरुद्ध योगगुरु स्वामी रामदेवले गरेको अनशन नवौ दिनमा तोडीएको थियो । जसलाई भारतीय मिडीयाहरुले ठूलै महत्वका साथ प्रसारण गरे । जका कारण यो मद्धा केन्दि्रय मुद्धा मात्रै बनेन, केन्दि्रय सरकारका तीन मन्त्री लगायत उच्चपदस्त भारयित पदाधिकारी समेतले उक्त अनशन प्रति चासो व्यक्त गरे । तर विडम्बना गंगा नदीको सरसफाई गर्नुपर्ने, नदीबाट बालुवा निकालन बन्द गनुपर्ने लगायतका माग राखेर ६८ दिनदेखी भोक हडतालमा बसेका स्वामी निगमानन्दको बारेमा भारतिय मिडीयाहरु मौन रहे । स्वामी रामदेव भर्ना गरिएकै हिमालयन इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट हॉस्पिटल मा भर्ना गरीएका निगमानन्दको विषयमा भारतीय मिडीयाहरुले कुनै न कुनै खबर प्रसारण गरे न त्यसलाई महत्व नै दिए । फलत निगमानन्दको हस्पिटलमै मृत्यु भयो । यो सत्यले भारतीय मिडियाहरु टिआरपीको बृद्धीका निम्ती मात्रै मिडिया कन्टेन्टको खोजी गरीरहेका छन । यही सत्यलाई भारतीय दैनीक नवभारत टाईम्सले आफ्नो अनलाईनमा यस्तो लेखेको थियो ।

देहरादून।। देश की लाइफलाइन गंगा को बचाने की मांग को लेकर 68 दिनों तक अनशन करने के बाद कोमा में गए स्वामी निगमानंद की मौत हो गई। 2 मई से वह देहरादून के उसी हिमालयन इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट हॉस्पिटल में भर्ती थे, जहां रामदेव बाबा भर्ती थे। विडंबना यह है कि सिर्फ 9 दिनों का अनशन करने वाले रामदेव का हाल जानने के लिए देशभर का मीडिया और हाई प्रोफाइल संत व नेता वहां जमावड़ा लगाए रहे, लेकिन कोमा की हालत में जीवन-मृत्यु से जूझ रहे निगमानंद की किसी ने खबर नहीं ली और रविवार की रात उनकी गुमनाम मौत हो गई।

मातृसदन से जुड़े 3 4 वर्षीय निगमानंद गंगा में खनन को बंद करने और हिमालयन स्टोन क्रेशर को कुंभ क्षेत्र से हटाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने इस साल 19 फरवरी को अनशन शुरू किया था। अनशन के 68 वें दिन 27 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। 2 मई को वह कोमा में चले गए थे और इसके बाद उन्हें हिमालयन इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया था।

वेद-पुराणों के ज्ञाता निगमानंद ने इसके पहले 2001 में देहरादून के गांधी पार्क में भ्रष्टाचार को लेकर 73 दिन का अनशन किया। उन्होंने 2008 में भी 68 दिन का अनशन किया था। लोहारीनागपाला जल विद्युत परियोजना को रद्द करने की मांग को लेकर प्रो.जीडी अग्रवाल के अनशन के दौरान भी वह सक्रिय रहे।

निगमानंद की मौत से व्यथित मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार, प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था भ्रष्ट हो चुकी है। गंगा बलिदान मांग रही है और मैं यह बलिदान दूंगा। उन्होंने निगमानंद का पोस्टमार्टम एम्स के डाक्टरों से कराने की मांग की है और आरोप लगाया कि राज्य सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के इशारे पर इस युवा संन्यासी को जहर देकर मारा गया।

स्वामी शिवानंद ने हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ . पी . के . भटनागर और क्रेशर के मालिक ज्ञानेश कुमार के खिलाफ कोतवाली थाने में 11 मई को शिकायत दर्ज कराई थी कि 30 अप्रैल को इलाज के दौरान निगमानंद को जहर दे दिया गया था , जिसके चलते वह 2 मई को कोमा में चले गए थे।




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